जानिए क्या है गज केसरी योग जो व्यक्ति को अपार धन-संपदा और सुखी वैवाहिक जीवन देता है!
वैदिक ज्योतिष में गजकेसरी योग को सबसे शक्तिशाली और शुभ योग माना जाता है। यह योग तब बनता है, जब चंद्रमा से एक केंद्र की दूरी पर स्थित भाव के स्वामी बृहस्पति हों। ये जिस भाव में चंद्रमा स्थित होते हैं, वहां से 1, 4, 7 और 10वें भाव होते हैं।बृहस्पति को महान प्रचुरता के ग्रह के रूप में जाना जाता है। जो अक्सर भौतिक धन और आध्यात्मिक ज्ञान लाते हैं। इसके अलावा, गुरु या बृहस्पति भक्ति, पूजा पाठ के प्रतीक होते हैं, और संतान व धन के लिए भी उत्तरदायी होते हैं। दूसरी ओर, चंद्रमा दया, खुशी और समृद्धि के प्रतीक होते हैं। गज केसरी योग तब बनता है, जब ये दोनों ग्रह एक साथ होते हैं, या आपसी केंद्र भावों में स्थित होते हैं। इसलिए इस योग की उत्पत्ति के लिए बृहस्पति का चंद्रमा की स्थिति से केंद्र भाव में होना जरुरी है। यदि बृहस्पति शत्रु भाव में स्थित होते हैं, तो भी इस योग की शुभता को चुनौती पूर्ण माना जाता है।
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गजकेसरी योग के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन
किसी भी व्यक्ति के लिए चंद्रमा और बृहस्पति के संयोजन से बनने वाले योगों में से सबसे लाभदायक योग होता है, गजकेसरी योग। माना जाता हैं कि यह योग व्यक्ति के जीवन में तेज बौद्धिक क्षमता और अपार समृद्धि लाता है। ऐसे जातकों को आस-पास के लोगों द्वारा बहुत प्यार और सम्मान मिलता है।गजकेसरी योग सबसे प्रभावी तब होता होता है, जब बृहस्पति का कोई भी हानिकारक या नकारात्मक प्रभाव कुंडली मौजूद नहीं हो, या कभी कभार प्रतिगामी काल में भी होता है। किसी जातक की कुंडली में बृहस्पति प्रतिगामी है, या हानिकारक स्थिति में है तो इसका पता जातक की जन्म कुंडली का विश्लेषण कर के लगाया जाता है। यही प्रक्रिया चंद्रमा की स्थिति पर भी लागू होती हैं। इसलिए, मूल रूप से, जब बृहस्पति और चंद्रमा दोनों किसी भी प्रकार के कष्टों से मुक्त होते हैं, तो गजकेसरी अपनी पूरी शक्ति प्राप्त करता है, और स्पष्ट योग वाले जातकों को प्रचुर धन और प्रसिद्धि दिलाता है।
गजकेसरी योग अर्थ
यह योग कई जातकों की कुंडली में दिखाई दे सकता है, जो ग्रह स्थितियों पर निर्भर करता है। यह निश्चित रूप से दो ग्रहों, बृहस्पति और चंद्रमा की स्थिति और आधिपत्य पर आधारित होता है। साथ ही, सावधानी की दृष्टि से उन्हें राहु और शनि के प्रभाव से भी मुक्त होना चाहिए।
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जातक की जन्म कुंडली में गजकेसरी योग कैसे बनता है?
किसी भी जातक की कुंडली में गजकेसरी योग बनने के लिए दो शर्तों का पूरा होना जरुरी होता है।ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा और बृहस्पति की दशा या भुक्ति काल में ही ये योग प्रभावी होता है। इसके अलावा, इन ग्रहों के अंतर्दशा काल के दौरान और जब किसी दशा के स्वामी बृहस्पति और चंद्रमा दोनों के लिए अनुकूल स्थिति पैदा करे तो भी यह योग बनता है। यदि बाद में स्थितियाँ संतुष्टि पूर्ण नहीं हैं, तो जातक कोई अधिक लाभ नहीं मिल पाता हैं।यदि किसी जातक की जन्म राशि कर्क है, और बृहस्पति, मंगल एवं चंद्र तीनों ग्रह कर्क राशि में स्थित होते हैं तो जातक ईश्वर की कृपा और अपने ईमानदारी पूर्ण कार्य के बल पर धन समृद्धि प्राप्त करता है। इसके साथ ही यदि धनु, कर्क और मीन राशि में बृहस्पति उपस्थिति भी स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि जातक अपने शब्दों के बल पर धनवान बनता है।यह इसलिए होता है क्योंकि बृहस्पति की मजबूत स्थिति जातकों को जीवन में चमकने तथा मन की शांति, समृद्धि, ज्ञान, प्रवृत्ति आदि बढ़ाने में मदद करती है, साथ ही प्रचुर मात्रा में खुशी भी प्रदान करती है।मजबूत बृहस्पति लोगों को विभिन्न व्यवसायों जैसे प्रबंधन, प्रशासन, परामर्श, कानून, खगोल विज्ञान, आदि के प्रति आकर्षित होने में मदद करता है।यदि हम गहराई से अध्ययन करते हैं, तो पाते हैं कि बृहस्पति के तीन नक्षत्र होते हैं, जो पुनर्वसु, विशाखा और पूर्व भाद्रपद हैं। जबकि बृहस्पति दूसरे, 5 वें और 9 वें भाव के कारक होते हैं। बुध और शुक्र को बृहस्पति का प्रतिद्वंद्वी या शत्रु माना जाता है, जबकि सूर्य, चंद्रमा और मंगल को अनुकूल या मित्र ग्रहों के रूप में देखा जाता है। यहाँ यह बात ध्यान देने वाली है कि राहु, शनि और यहां तक कि केतु भी बृहस्पति के लिए पूरी तरह से उदासीन होते हैं। ऐसा देखा गया है कि चौथे और दसवें भाव में बृहस्पति सकारात्मक प्रभाव देते हैं। वो पहला भाव होता है, जहाँ बृहस्पति को बहुत जरूरी दिशात्मक शक्ति मिलती है। हम किसी व्यक्ति के जीवन में उस समय-अवधि की गणना कर सकते हैं, जब यह योग सबसे प्रभावी होगा!
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गजकेसरी योग के लिए सबसे प्रभावी समय अवधि
जब तक हम दूसरों की भलाई के बारे में नहीं सोचते हैं तब तक हमारा भला भी नहीं हो पाता है। इसलिए ईश्वर के प्रति विश्वास हमारे लिए बहुत महत्पूर्ण भूमिका निभाता है, और हमेशा हमारा मार्गदर्शन करता है। यह याद रहे कि जब तक हम स्वयं प्रयास नहीं करेंगे तब तक हमारे लिए कोई भी समय अनुकूल नहीं हो सकता। क्योंकि कठिन परिश्रम का न तो कोई विकल्प था और न ही होगा।
गजकेसरी योग और वैवाहिक जीवन
वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली का सातवां भाव विवाह के लिए होता है, और सातवें भाव से ही गजकेसरी योग भी संचालित होता है। इसलिए वैवाहिक जीवन पर इस योग के प्रभाव अत्यधिक अनुकूल और शुभ होते हैं। माना जाता है कि ऐसे जातकों का वैवाहिक जीवन आनंद पूर्ण व्यतीत होता है और इनकी अर्धांगिनी भी किसी मजबूत पारिवारिक पृष्ठभूमि से होती है। साथ ही, यह योग जातक के जीवन में शीघ्र विवाह का कारण भी बन सकता है। जातक एक उत्तम और सफल वैवाहिक जीवन जीता है। क्या आपकी कुंडली में भी गजकेसरी योग है, जानने के लिए आप हमारे अनुभवी ज्योतिष विशेषज्ञों से अपनी प्रीमियम जन्मपत्री बनवा सकते हैं।
कुछ इस प्रकार से गजकेसरी योग जातक के लिए अत्यधिक शुभ होता है और जातक के जीवन में बहुत अधिक वृद्धि होती है। यह न केवल अधिक बौद्धिक क्षमताओं, वैवाहिक जीवन को सुखी बनता है, बल्कि महान भौतिक संपदा भी प्रदान करता है। यह जातक लगातार अधिक धन कमाने के लिए बेहतर अवसर भी देता है। लेकिन इसके एकमात्र अंतर्निहित स्थिति यह है कि बृहस्पति और चंद्रमा दोनों को एक दूसरे के अनुकूल भावों में होना चाहिए।
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गणेशजी के आशीर्वाद सहित,
गणेशास्पीक्स टीम