पोंगल एक तमिल त्योहार है, जो फसल की कटाई से संबंधित है और सूर्य भगवान को समर्पित है। अधिकतम कृषि उपज के लिए सूर्य देव को धन्यवाद दिया जाता है। तमिलनाडु, पुडुचेरी और श्रीलंका में ये त्योहार बड़े पैमाने पर मनाया जाता है, यह चार दिनों तक चलता है। तमिल शब्द पोंगल का अर्थ है “उबलना”। वर्ष की फसल के लिए धन्यवाद देने की रस्म के रूप में ये उत्सव मनाया जाता है।
यह दिन पूरे उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों के मौसम के अंत और बसंत की शुरुआत का भी प्रतीक है। इस त्योहार को उत्तर भारत में मकर संक्रांति और दक्षिण में पोंगल के नाम से जाना जाता है।
इस अवधि को उत्तरायण पुण्यकालम के रूप में भी चिह्नित किया गया है और इसे शुभ माना जाता है। किंवदंती है कि इस अवधि के दौरान देवता छह महीने की लंबी नींद के बाद जागते हैं। और इस प्रकार यह माना जाता है कि उत्तरायण के दौरान जिसकी मृत्यु होती है, वह मोक्ष प्राप्त करता है।
पोंगल और ज्योतिष
परंपरा के अनुसार त्योहार शीतकालीन संक्रांति के अंत और सूर्य की छह महीने की लंबी यात्रा उत्तर की ओर (उत्तरायण) की शुरुआत का प्रतीक है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। त्योहार का औपचारिक नाम “पोंगल” रखा गया है, जिसका अर्थ है “उबालना, अतिप्रवाह”। यह पारंपरिक व्यंजन को भी दर्शाता है, इस व्यंजन को नई फसल के चावल को दूध में गुड़ के साथ उबालकर तैयार किया जाता है। यह उस समय के भी अनुकूल है, जब सूर्य राशि चक्र, मकर राशि के दसवें घर में प्रवेश करता है।
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पोंगल 2025 का उत्सव और अनुष्ठान
लोग पोंगल उत्सव की तैयारियां कई दिनों पहले से शुरू कर देते हैं। पोंगल से जुड़े कई अनुष्ठान हैं, जिनका लोग पालन करते हैं। सबसे आम अनुष्ठानों में घरों की सफाई शामिल है। पोंगल त्योहार से एक दिन पहले जिस स्थान पर पोंगल की पूजा करनी होती है, उसे साफ करके गोबर से ढक दिया जाता है। इस अनुष्ठान को करने का स्थान आम तौर पर एक आंगन या पोर्च होता है।
पोंगल 2025 और उसके प्रकार
भोगी महोत्सव
महान तमिल त्योहार पोंगल की शुरुआत भोगी से होती है। भोगी त्योहार तमिल कैलेंडर के मार्गाजि़ महीने के आखिरी दिन से शुरू होता है। परंपरागत रूप से भोगी त्योहार भगवान इंद्र के लिए है, जिन्हें “बारिश के देवता” के रूप में पूजा जाता है। यह त्योहार फसल के लिए पर्याप्त बारिश देने के लिए भगवान इंद्र को धन्यवाद देने के लिए है।
मूल रूप से इस दिन सभी लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और अनुपयोगी वस्तुओं को फेंक देते हैं। तमिल में, इसे “पजहयना काजि़थलम पुथियाना पुगुधलुम” के नाम से जाना जाता है।
दूसरा दिन- थाई पोंगल
थाई पोंगल को सूर्य पोंगल के नाम से भी जाना जाता है। यह वह समय है जब अधिकांश मुख्य कार्यक्रम होते हैं। पोंगल त्योहार के दूसरे दिन, धार्मिक अनुष्ठान या पूजा की जाती है और अन्य दायित्वों के साथ देवताओं को खेत की फसल समर्पित की जाती है। चावल, दाल, घी और गुड़ का उपयोग करके एक विशेष दावत तैयार की जाती है।
इस दिन का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू कोलम है, जो चूने के पाउडर के साथ घरों के प्रवेश द्वार पर हाथ से तैयार पारंपरिक डिजाइन है। यह शुभ चित्र सुबह जल्दी स्नान करने के बाद ही करना चाहिए।
तीसरा दिन- मट्टू पोंगल
मट्टू पोंगल गाय के नाम पर मनाया जाने वाला दिन है। मवेशियों को घंटियों, मकई के ढेर और मालाओं से सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।
किंवदंती है कि भगवान शिव ने एक बार अपने बैल, वसवा को नश्वर लोगों के लिए एक संदेश के साथ पृथ्वी पर भेजा था, जिसमें उन्हें तेल मालिश करने और रोजाना स्नान करने और महीने में एक बार भोजन करने के लिए कहा गया था। किन्तु वसवा ने गलती से लोगों को प्रतिदिन खाने और महीने में एक बार तेल स्नान करने का संदेश दे दिया। क्रोधित होकर, शिव ने बसवा को हमेशा के लिए पृथ्वी पर निर्वासित कर दिया, यह शाप देते हुए कि लोगों को अधिक भोजन का उत्पादन करने में मदद करने के लिए उन्हें खेतों में हल चलाना होगा। यही वजह है कि इस दिन का संबंध मवेशियों से है। इस दिन भाई-बहन के संबंधों को हमेशा मजबूत बनाए रखने के लिए भी प्रार्थना करते हैं।
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चौथा दिन- कानुम पोंगल
कानुम (कानू) पोंगल के अंतिम दिन का प्रतीक है। कानुम का अर्थ है “निरीक्षण करना”। इस दिन एक अनुष्ठान किया जाता है, जिसमें बचे हुए मीठे पोंगल और अन्य भोजन को धुले हुए हल्दी के पत्ते पर पान, सुपारी और गन्ने के साथ आंगन में रखा जाता है।
पोंगल के शुभ दिन पर हम आपको पोंगल और उसके प्रकारों से संबंधित तथ्य प्रस्तुत करते हैं। घर की महिलाएं अपने भाइयों के नाम पर उनकी समृद्धि की कामना करते हुए अनुष्ठान करती हैं।
पोंगल के लिए कुछ खास व्यंजन
पोंगल त्योहार हिंदुओं का एक महान त्योहार है और पारंपरिक व्यंजनों के बिना पोंगल त्योहार भी अधूरा है। तो आइए जानते हैं कुछ पारंपरिक व्यंजनों के बारे में…
वेन पोंगल : इसमे पोंगल शब्द से भ्रमित न हों। यह एक साउथ इंडियन डिश का नाम है, जो कि तमिलनाडु में बनती है। इस पकवान को स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। इसमें चावल, मूंग दाल, घी और काली मिर्च मिलाकर वेन पोंगल बनाया जाता है, इसे सांबर या नारियल की चटनी के साथ परोसा जाता है। इसे सबसे अच्छे पोंगल व्यंजनों में से एक माना जाता है।
पूरन पोली : पोंगल के लिए पूरन पोली एक खास और पारंपरिक व्यंजन है। इसे मीठा पराठा भी कहा जाता है। पूरन पोली नारियल और चने की दाल में घी डालकर बनाई जाती है। गुजरात, तमिलनाडु, गोवा, महाराष्ट्र और पश्चिम व दक्षिण भारत के अन्य क्षेत्रों में इसका आनंद लिया जाता है।
मुरुक्कू : मुरुक्कू उड़द की दाल से बने पोंगल उत्सव का एक व्यंजन है। यह कुरकुरेपन के साथ-साथ कुंडलित आकार का है, जो इसे एक स्वादिष्ट शीतकालीन नाश्ता बनाता है।
सक्कराय पोंगल : इस त्योहार के दौरान कई पोंगल व्यंजन तैयार किए जाते हैं। उनमें से प्रत्येक का एक अलग स्वाद है। इसे हरे चने, गुड़ और चावल से बनाया जाता है।
हर साल की तरह 2025 में भी 13 जनवरी को पूरे देश में पोंगल पर्व मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर हमें सूर्य पूजा और माघ नक्षत्र पूजा अवश्य करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि किसी धार्मिक स्थान पर गुड़, घी, चीनी आदि चढ़ाने से व्यक्ति का जीवन और मृत्यु के बाद का जीवन भी समृद्ध होता है। आइए पोंगल त्योहार के संबंध में कुछ और महत्वपूर्ण तिथियों के बारे में जानें।
तारीख | दिन | नाम |
---|---|---|
13 जनवरी 2025 | शनिवार | भोगी पोंगल |
14 जनवरी 2025 | रविवार | थाई पोंगल |
15 जनवरी 2025 | सोमवार | मट्ट पोंगल |
16 जनवरी 2025 | मंगलवार | कानुम पोंगल |
पोंगल 2025 की शुभकामनाएं !
गणेशजी से आपके लिए एक खुश और हर्षित पोंगल की कामना करते हैं। यह नव वर्ष और इस पावन पर्व के अवसर पर आपका जीवन खुशियों से भर जाए।
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गणेश की कृपा से,
गणेशास्पीक्स.कॉम टीम