ज्योतिषशास्त्र के ग्रह: बुध

खगोलशास्त्रीय विवरण

बुधसूर्य से बुध की औसत दूरी 36 मिलियन किलोमीटर है । शिरोबिंदु में अधिकतम दूरी लगभग 43 किलोमीटर और निम्न बिंदु में यह दूरी लगभग 29 मिलियन मील है। बुध को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 88 दिन लगते हैं। इसका व्यास 3,2 0 0 मील है। बुध का आकार बहुत छोटा है इसलिए इसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति भी बहुत कमजोर है।
सूर्य के बहुत निकट होने के कारण इसके चारों ओर वायुमंडल नहीं है। इसके अलावा बुध का आधा हिस्सा बहुत गरम होता है, जिसका तापमान लगभग 36 0 डिग्री होता है और बाकी का आधा हिस्सा ध्रुवीय प्रदेश से भी बहुत ज्यादा ठंडा होता है। सूर्य और बुध की गति लगभग बराबर होने के कारण इसका आधा हिस्सा सूर्य की ओर और बाकी का आधा हिस्सा हमेशा अंधकार में और तापमान जमाव बिंदु से कम रहता है।

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पौराणिक मान्यताः

बुध का जन्म चन्द्र और बृहस्पति की पत्नी तारा के मिलन से हुआ था। कहानी इस प्रकार है की एक बार चन्द्रमा ने तारा का हरण कर उसे असुर गुरु शुक्राचार्य के आश्रम में छोड़ दिया। सभी देवताओं ने बेहतर न्याय के लिए अपील की और चन्द्रमा को अपनी गलती समझ में आई। पश्चाताप से भरे चन्द्रमा ने बृहस्पति को तारा लौटा दिया। तारा के गर्भ में बालक पल रहा था। उस बालक का जन्म विधिवत हुआ। बालक बहुत सुन्दर था। तारा ने बृहस्पति के सामने बच्चे के पिता के संबंध में बताया। ब्राह्मण बृहस्पति ने उन्हें क्षमा करते हुए इसे स्वीकार कर लिया।
यूनानी धार्मिक मान्यता के अनुसार बुध को बृहस्पति और एटलस की पुत्री माया का पुत्र माना जाता है, उसे अपोलो का दोस्त माना जाता है, शायद इसलिए भी क्योंकि यह सूर्य के निकट है।

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ज्योतिषीय विशेषताएं –

उत्तर कालामृत के अनुसार बुध के कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं :
1. शिक्षा 2. खजाना 3. गणित 4. ज्ञान 5. व्याख्यान 6. सेना 7. लिखना 8. हरा रंग 9. ज्योतिष और खगोलविद्या 1 0. वाणिज्य 11. 12. त्वचा 13. विष्णु की पूजा 14. अथर्व वेद 15. उत्तर पश्चिम दिशा 16. पुराणों या महाकाव्य में निपुण 17. व्याकरण 18. मामा 19. यन्त्र 2 0. बहुत शक्तिशाली तांत्रिक 21. आत्म नियंत्रण 22. उपासना 23. नाभि 24. संतान 25.नम्रता 26. सूर्योदय के समय तेजस्वी
आम तौर पर यह देखा गया है कि मजबूत बुध इन मामलों में अच्छा परिणाम देता है जबकि कमजोर बुध इसमें कमी करता है।

ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि से विस्तृत जानकारीः

बुध मिथुन और कन्या राशी का स्वामी है। यह कन्या राशि में 15 डिग्री उच्च का तथा मीन में 15 डिग्री नीच का होता है। इसकी मूल त्रिकोण राशि कन्या है। यह एकमात्र ऐसा ग्रह है जो अपनी राशि में उच्च का पाया जाता है। (कन्या राशि का स्वामी बुध है, अन्य ग्रह किसी अन्य के स्वामित्व वाली राशि में उच्च के होते हैं, इसका मतलब यह है कि बुध अपने स्वामित्व की राशि कन्या में उच्च का है।
बुध व्याख्यान का प्रतिनिधि है। सौरमंडल में यह एक उत्तराधिकारी के रूप में जाना जाता है। इसका रंग घास सदृश्य है। इसके इष्टदेव विष्णु हैं और यह उभयलिंगी है। यह पञ्च महाभूत के तत्व में पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता है। यह वैश्य वर्ण या वाणिज्यिक समाज का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें राजसी गुण होते हैं।
ध के पास आकर्षक शरीर, द्विअर्थी शब्द बोलने की क्षमता और अच्छी हास्य भावना होती है। यह पित्त, कफ और पवन इन तीन देह द्रवों का मिश्रण है। यह त्वचा का प्रतिनिधित्व करता है। यह खेल के मैदान में पाया जा सकता है। यह एक ऋतु का प्रतिनिधित्व करता है( इसकी अवधि लगभग दो माह की होती है)। यह मिश्रित स्वाद का प्रतिनिधित्व करता है। यह पूर्व दिशा में मजबूत होता है। सूर्य और शुक्र के साथ इसकी मित्रता है और चन्द्र के साथ यह विरोधी भाव रखता है। मंगल, शनि और बृहस्पति के साथ निष्पक्ष रहता है। यह राहू और केतु के साथ भी निष्पक्ष रहता है।

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वैदिक ज्योतिष में ग्रह
सूर्यचंद्रमंगल
बुधशुक्रगुरु
शनिराहु और केतु
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