स्वाति नक्षत्र

स्वाति नक्षत्र का चिह्न अंकुर या कोंपल हैं जो हवा के हल्के झोंके में लहरा रहा हैं | इनके ईष्ट या पीठासीन देव वायु देव हैं जो पवन के देव हैं | ये नक्षत्र नई शुरुआत, अनुकूलनशीलता और विकास को दर्शाता हैं | ये हवा के रुख के साथ मुड़ जाते हैं जो इनके लचीलेपन को प्रदर्शित करता हैं | हालांकि इसका अर्थ कमजोरी और असुरक्षा भी हैं | ये बड़े जीवट होते हैं |स्वाति नक्षत्र देवी सरस्वती से भी अनुबंधित हैं जो विद्या की देवी हैं | इसका मतलब यह है कि इस नक्षत्र वाले संगीत और साहित्य के पुजारी होते हैं | ये अतींद्रिय संवेदी,अंतर्ज्ञानी और धर्मशास्त्र के उस्ताद होते हैं | स्वाति का मतलब पुरोहिती भी होता हैं और ये दार्शनिक और आध्यात्मिक होते हैं | अत: जब इस नक्षत्र में चन्द्रमा हो तो सरस्वती माता की अराधना करना शुभ होता हैं |

स्वाति नक्षत्र के लोगो की खासियत यह होती हैं कि ये विपरीत सेक्स के प्रति मुर्छित होने की हद तक आकर्षित होते हैं | पर ये ज्यादा सामाजिक नहीं होते हैं | ये आत्मनिर्भर होते हैं |ये अति आत्मनिर्भरता की वजह से मुसीबत में पड़ जाते हैं | अधिकार के लिए ये बिल्कुल सहिष्णु नहीं होते हैं |ये अड़े हुए, प्रतिरोधक और घमंडी होते हैं | खासकर अगर उनकी स्वतंत्रता जब खतरे में पड़ी हो | ये जकड़े और उथले भी होते हैं | ये सभी का उनकी स्थिति और ताकत के आधार पर आदर करते हैं | पर जो इनको कम करके आंकते हैं उन्हे कभी माफ़ नहीं कर पाते हैं | ये दुसरो की उन्नति से जलते नहीं हैं | लेकिन अपने स्वयं के धन का साझा करने के अनिच्छुक होते हैं | इस नक्षत्र के देव वायु चपलता और अस्थिरता को दिखाते हैं | ये शरीर में वात का भी कारण भी होता हैं |जो शरीर में गड़बड़ी कर सकता हैं जैसे कि पेट फ़ूलना आदि |इन्हे अपनी आंतो और छाती का ख्याल रखना चाहिये | राहु, शुक्र और शनि स्वाति में बहुत शक्तिशाली होते हैं | पेशे में ये व्यापारी, खरीदार, विक्रेता, स्वतंत्र व्यवसायी हो सकते हैं | ये सन्यासी,पुजारी और भक्त भी हो सकते हैं |

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